प्रोटीन (Protein) शब्द का क्या अर्थ है – यह सबसे पहले 1938 में डच औषधकार मुल्डर ने बताया था, कि सभी जीवित प्राणियों, पौधों और पशुओं में कुछ ऐसे तत्व होते हैं, जिनके बिना जीवित रहना असम्भव है और इन तत्त्वों को ही प्रोटीन नाम से जाना जाता है। शरीर-संचरना में प्रोटीन का स्थान जल के बाद दूसरा है। वास्तव में, मानव पोषण में प्रोटीन का अत्यधिक महत्त्व है।
इनमें कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन, नाइट्रोजन और गंधक का संशिलष्ट जैविक समिमश्रण होता है। कुछ प्रोटीनों में फास्फोरस, लौह, आयोडीन, ताम्र और अन्य अजैविक तत्त्व होते हैं। प्रोटीन में नाइट्रोजन होती है, अत: ये कारबोज और वसा से भिन्न होते हैं। प्रोटीन ऐमीनो अम्ल नामक छोटी-छोटी इकाइयों से बने होते हैं।
प्रोटीन के कार्य
प्रोटीन जीवन-प्रक्रिया के लिए बहुत ही आवश्यक है। ऐसी शायद ही कोई महत्त्वपूर्ण शारीरिक कार्य होगी, जिसमें प्रोटीन की सहभागिता न होती हो। प्रोटीन के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं –
1. शरीर निर्माण – यह प्रोटीन का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कार्य है। प्रोटीन देह ऊत्तकों का प्रमुख संरचनात्मक संघटक होता है। वस्तुत:, प्रत्येक सजीव कोशिका में प्रोटीन होते हैं। इसलिए वृद्धि और विकास के लिए तथा कोशिका प्रोटीन के निरन्तर प्रतिस्थापन के लिए आवश्यक सामग्री की आपूर्ति करना, प्रोटीन की प्रथम आवश्यकता है।
2. शरीर नियामक – शारीरिक क्रियाओं के नियमन में कई प्रोटीन विशिष्ट कार्य करते हैं। शरीर में सभी रसायनिक प्रतिक्रियाएं किण्वकों (एन्जाइम) के द्वारा होती हैं, जो प्रोटीन ही होते हैं। प्रोटीन भी हीमोग्लोबीन का एक घटक है। फेफड़ों से ऊतकों तक आक्सीजन ले जाने और वापस कार्बन डार्इआक्साइड लाने में, हीमोग्लोबीन बहुत ही आवश्यक है। शरीर की प्रतिक्रियाओं पर हारमोन-नियन्त्राण करते हैं, ये सभी प्रोटीन तत्त्व ही होते हैं। शरीर में जल सन्तुलन के अनुरक्षण का मूल कार्य प्लाविका प्रोटीन (प्लाज़्मा) करते है। शरीर अम्लीय आधार संतुलन बनाए रखने में रक्त प्रोटीन सहायता करते हैं।
3. शरीर संरक्षण – गामा ग्लोब्यूलिन नामक प्रोटीन में आक्रामक जीवों से लड़ने की सामथ्र्य होती है। रोगों के प्रति शारीरिक प्रतिरोध का आंशिक अनुरक्षण रोग प्रतिकारकों द्वारा किया जाता है, जो प्रकृति से प्रोटीन ही होते हैं।
4. ऊर्जा प्रदायक – शरीर की ऊर्जा आवश्यकताओं को अन्य आवश्यकताओं की अपेक्षा प्राथमिकता मिलती है, और यदि आहार में कारबोज और वसा से पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिलती तो आहार की प्रोटीन तथा ऊतकों की प्रोटीन, ऊर्जा प्रदान करने के कारण जल्दी खर्च हो जाएगी। एक ग्राम प्रोटीन से 4 कैलोरी मिलती है।
5.शारीरिक ताप पर नियन्त्राण – प्रोटीन के चयापचय के दौरान, अतिरिक्त ऊर्जा निकलती है जिसका इस्तेमाल शारीरिक ताप के अनुरक्षण में किया जाता है।
6 .दिमागी सेहत बढ़ाए -जब डाइट में प्रोटीन युक्त आहार बढ़ाए जाते हैं तो ब्रेन काफी एक्टिव हो जाता है। आपके ब्रेन की एक्टिविटी आपके आहार पर निर्भर रहती है।
7 .बालों और त्वचा के लिये -यह हमारी त्वचा और बालों के लिये भी अच्छा होता है। बालों और नाखूनों में केराटिन नामक प्रोटीन होता है। यह बालों को मजबूत, लचीला और चमकदार बनाता है। बालों, त्वचा और नाखूनों को स्वस्थ और चमकदार बनाए रखने के लिए प्रोटीन से भरपूर भोजन खाएं।
प्रोटीन के आहार स्रोत दो प्रकार के होते हैं –
1. पशु स्रोत – दूध व दूध के अन्य उत्पाद (मक्खन तथा घी को छोड़कर) अण्डा, मांस, मछली और मुर्गा।
2. वनस्पति स्रोत – दालें जैसे सोयाबीन, चना, अरहर, मूंग, उड़द, अन्न जैसे गेहूं, मक्का, चावल, जौ, ज्वार, बाजरा और मेवे जैसे मूंगफली, बादाम, काजू आदि। सब्जी और फलों से कम प्रोटीन मिलते हैं।
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