प्रोटीन क्या है ,और गुणवत्ता जनना क्यु ज़रुरी
प्रोटीन हमारे शरीर की एनर्जी के लिए बहुत जरूरी होता है और यह बच्चों से लेकर बड़ों तक हर उम्रवर्ग के लिए अलग-अलग मात्रा में लिया जाना चाहिए. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे खाने में प्रोटीन की कितनी मात्रा होती है?
हाल में हुए एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि 80 प्रतिशत भारतीय लोगों के खाने में प्रोटीन की कमी होती है. 91 प्रतिशत मांसाहारी और 85 प्रतिशत शाकाहारी लोगों में प्रोटीन की कमी पाई गई है. भारतीयों के खाने में सिर्फ 37 प्रमिशत ही प्रोटीन होता है जबकि पूरी दुनिया में यह आंकड़ा 65 प्रतिशत है.
प्रोटीन का मुख्य कार्य शरीर का निर्माण करना और उसकी मरम्मत करना होता है। हमारी आवश्यकता की कुल कैलोरी 20-35 प्रतिशत प्रोटीन से आनी चाहिए। हालांकि प्रतिदिन कितनी मात्रा में प्रोटीन का सेवन किया जाए, यह उम्र, भार और आपके वर्कआउट रुटीन पर निर्भर करता है। एक ग्राम प्रोटीन में चार कैलोरी होती हैं। अगर आप सोचते हैं कि प्रोटीन का सेवन करने से आपको मांसपेशियों को बनाने में सहायता मिलेगी तो दुबारा सोचिए। बिना सोचे-समझे अधिक मात्रा में प्रोटीन का सेवन आपको फायदे की बजाए नुकसान पहुंचा सकता है।
प्रोटीन की केवल मात्रा ही नहीं, अपितु गुणवत्ता भी बहुत महत्त्वपूर्ण है। यह गुणवत्ता, विशिष्ट प्रोटीन में पाए जाने वाले विशेष एमिनो अम्ल ( Amino Acids) की मात्रा और प्रकार के ऊपर मुख्यत: निर्भर करती है।
कुल मिलाकर मनुष्य के शरीर के लिए 22 प्रकार के ऐमिनो अम्ल की आवश्यकता होती है। इनमें से आठ अनिवार्य होते हैं, क्योंकि शरीर में इनका संश्लेषण नहीं किया जा सकता है। इसलिए हम इन्हें आहार से प्राप्त करते हैं। बाकी ऐमिनो अम्ल आवश्यक नहीं नाम से जाने जाते हैं क्योंकि इनका संश्लेषण शरीर में किया जा सकता है।
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प्रोटीन गुणवत्ता के आधार पर इसके तीन भाग किए जा सकते हैं-
1. पूर्ण प्रोटीन ( Pure Protein) – इनमें सभी अनिवार्य ऐमिनो एसिड ( Amino Acids) पर्याप्त मात्रामें होते हैं, जिसमें शरीर की सामान्य वृद्धि का अनुरक्षण किया जाता है। मुख्यत: पशु-स्रोत से मिलने वाले प्रोटीन इसी वर्ग में होते हैं, जैसे दूध, मांस, अण्डा, मछली और मुर्गा। अंकुरित अन्न (बीजांकुर) और सूखे खमीर में वैदिक मूल्यवत्ता होती है, जो पशु स्रोतों से प्राप्त प्रोटीनों जैसी ही होती है।
2.अंशत: पूर्ण प्रोटीन – इनके जीवन का अनुरक्षण तो किया जा सकता है, परन्तु इनमें वृद्धि के लिए आवश्यक कुछ एमिनो अम्लों की पर्याप्त मात्रा नहीं होती। वनस्पति स्रोतों जैसे दाल, गेहूं और गिरी आदि से प्राप्य प्रोटीन इसी श्रेणी में होते हैं।
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3. अपूर्ण प्रोटीन – ये न तो वृद्धि हैं और न ही जीवन का अनुरक्षण करते हैं, क्योंकि इनमें कितने ही ऐमिनो अम्ल नहीं होते, और यदि होते भी हैं तो काफी कम मात्रा में होते हैं। उदाहरणार्थ जिलेटिन ओर जीन जो मक्का में पाए जाते हैं, इसी श्रेणी में आते हैं।
प्रोटीन की पूरक गुणवत्ता | Quality of Protein Supplements
एक प्रकार के प्रोटीन की कमी को दूसरे प्रकार के प्रोटीन से पूरा करने को प्रोटीन की पूरक गुणवत्ता कहते हैं। संसार भर के लोगों के लिए आहार में प्रोटीन का मुख्य स्रोत वनस्पति है। वानस्पतिक भोज्य पदार्थ अकेले खाए जाने पर उनमें सभी प्रकार के आवश्यक ऐमिनो अम्ल नहीं मिलते। इस कारण इनको प्रोटीन स्त्रोतों के रूप में तिरस्कृत करने में कोर्इ औचित्य नहीं है। फिर भी प्रोटीन की गुणवत्ता को बढ़ाने की चार संभावनाएँ हैं।
पहली संभावना है कि कुछ पशु स्रोत का भोजन अर्थात पूर्ण प्रोटीन वाला भोजन खाया जाए और साथ में दूसरी या तीसरी श्रेणी प्रोटीन भी खाए जाएं, उदाहरण के लिए प्रत्येक आहार में कुछ मात्रा पशु स्रोत से प्राप्त प्रोटीन की मिला ली जाए।
दूसरी संभावना है कि कई सबिजयों के मिश्रण से प्राप्य प्रोटीन खाएं जाए ताकि एक-दूसरे के अभाव को पूरा किया जा सके, उदाहरण के लिए अनाज और दाल का मिश्रण।
तीसरी संभावना यह है कि उन ऐमिनो अम्लों को जिनकी हमारे आहार में कमी है, उन्हें कृत्रिम (संश्लेषित) रूप में मिला लिया जाए।
चौथी संभावना यह है कि अंकुरण अथवा खमीर (किण्वन, उत्क्षोभण) कर लिया जाए, जैसे कि दालों या अनाजों को अंकुरित करके खाया जाए।
एक दूसरे के साथ मिलाकर प्रोटीन के अभाव को पूरा करने के लिए, उपर्युक्त पहले दो ढंगों को प्रोटीन अनुपूरण कहा जाता है।
दिन में कितना प्रोटीन चाहिए | Daily Protein Need
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प्रोटीन की आवश्यकता भारतीयों की आहार में मिली-जुली वनस्पति प्रोटीन के रूप में दी गई है। वयस्कों के लिए 1 ग्रामकिलो प्रोटीन की आवश्यकता होती है। भारतीयों के कद को देखते हुए पुरुषों का शारीरिक भार 60 कि. ग्राम व सित्रायों का शारीरिक भार 50 कि.ग्राम. प्रस्तावित किया गया है। विभिन्न आयु वर्गों की प्रोटीन आवश्यकता सारणी 2 में दी गई है।
प्रोटीन की कमी से नुकसान । Protein Deficiency
प्रोटीन ( Protein) के अन्तर्ग्रहण में कमी अथवा निम्न स्तर प्रोटीन वाले आहार को लम्बे समय तक खाने से ऊतक संचिति में नि:शेषण होने लगता है और फिर रक्त प्रोटीन के स्तर में भी गिरावट आ जाती है। प्रोटीन अभावग्रस्तता प्राय: शैशवावस्था, प्रारमिभक बाल्यावस्था, गर्भावस्था अथवा स्तनपान कराने की अवस्था में होती है।
बच्चों में प्रोटीन की कमी से मरास्मस (सूखा रोग) और क्वाशिओरकोर हो जाता है। इससे वृद्धि अवरोध, जलजमाव और अतिसार आदि रोग हो जाते हैं। वयस्कों में प्रोटीन की कमी से शरीर भार में कमी, कमजोरी और रोग-प्रतिरोधक शकित में क्षीणता आ जाती है।
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धन्यवाद
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