कोकीलाक्षा (तालमखाना) के ज़बरदस्त फायदे :Kokilaksha Benefits

हमारे आयुर्वेद में ऐसी बहुत सी जड़ी बूटियां है जो कि मर्दों के यौन रोगों के इलाज में फायदेमंद मानी जाती हैं जिनमें से एक है तालमखाना या कोकिलाक्षा। कोकिलाक्षा (तालमखाना) भारत में आसानी से पाई जाती है, लेकिन इसकी पहचान हर किसी को नहीं है। भारत में जब से नवीनीकरण किया जा रहा है वैसे वैसे कई जड़ी बूटियों की कटाई भी की जा रही है। इसी वजह से भारत में कई तरह की जड़ी बूटियों की कमी होने लगी है। 

कोकिलक्षा (तालमखाना) एक ऐसा पौधा है जो कि बहुत ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। यह भारत के जलीय प्रदेशों में पाया जाता है। यह जमीन पर फैलता है और इसके पत्ते लंबे होते हैं। इसके ऊपर नीले रंग के फूल होते हैं। कुछ पौधों में सफेद रंग के फूल भी देखे जाते हैं, लेकिन वह बहुत ही कम होते हैं। इसके जड़े लंबी होती हैं।इस पौधे पे लम्बी लम्बी कांटे भी पाए जाते है. इस पौधे के लगभग हर एक हिस्से को अलग-अलग बीमारियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके बीजों और जड़ों का भी इस्तेमाल किया जाता है। 

भाषा में कोकिलक्षा (तालमखाना) को अलग अलग नाम से पुकारा जाता है जैसे कि संस्कृत में कोकिलाक्ष काकेक्षु, भिक्षु। हिंदी में ताल मखाना, कोकिला, आंख ताल मखाना ऊंटकक्ष, उर्दू में तालिमखाना .तेलुगु में कोकिलाक्षी .बंगाली में पुलियाखाना पंजाबी में तालमखाना अरबी में अफकीट इत्यादि 

अगर आप मर्दों के यौन इच्छा को बढ़ाने की कोई दवाई देखेंगे तो उसके इनग्रेडिएंट में आपको कोकिलक्षा आसानी से देखने को मिल जाएगा तो आज हम बात करते हैं कि कोकिलक्षा के फायदे क्या है। अगर इसे अकेला इस्तेमाल करना है तो क्या इस्तेमाल कर सकते हैं या नहीं? 

कोकिलक्षा के फायदे और घरेलू उपयोग : Kokilaksha Benefits in Hindi

कोकिलक्षा (तालमखाना) का पौधा, शीतल, वेद नाशक, बल, कारक और मूत्र विकार रोधी होता है। इसके बीजों को भी फायदेमंद माना जाता है। इसके काढ़े के रूप में पिया जाता है और बीजों का चूर्ण के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है तो चलिए जानते हैं कि किस तरह से यह हमें फायदा दे सकता है। 

यौन इच्छा बढ़ाता है

अक्सर आजकल असंतुलित जीवन शैली और तनाव की वजह से यौन इच्छा में कमी देखी गई है। यह खासकर मर्दों में ऐसा होता है तो अगर आप भी यौन इच्छा की कमी से जूझ रहे हैं तो आपको अश्वगंधा, शिलाजीत के साथ तालमखाना का सेवन जरूर करना चाहिए। यह आपकी योन इच्छा को बढ़ाता है और वीर्य को गाढ़ा करने में भी मदद करता है। 

ताल मखाने के बीज को कौंच बीज, गोखरू, काली मूसली, सतावर इत्यादि के साथ सेवन करना, काफी ज्यादा फायदेमंद माना जाता है। इसके चूर्ण को 1 से 2 ग्राम मात्रा में दिन में दो बार शक्कर के साथ लिया जा सकता है या फिर आप गाय के दूध के साथ भी सेवन कर सकते हैं। 

वीर्य बढ़ाता है। 

अगर पुरुषों में यौन इच्छा की कमी हो या फिर यौन संबंधी कोई रोग हो तो इसका असर वीर्य पर भी पड़ता है। 

sperm count

अगर आप में वीर्य की कमी है, वीर्य कम बनता है या वीर्य गाढ़ा नहीं है तो इसका असर आपकी आने वाली लाइफ पर पड़ सकता है। अगर आप बच्चा प्लान कर रहे हैं तो बच्चा होने में आपको बहुत तकलीफ झेलनी पड़ सकती है इसलिए कोकिलाक्षा का सेवन करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है कोकिलक्षा स्पर्म काउंट बढ़ाने में काफी ज्यादा फायदा देता है। 

अगर आप कम शुक्राणु के लिए कोकिलक्षा का सेवन करना चाहते हैं तो आप कोकिलक्षा कौंच बीज और सफेद मूसली का सेवन जरूर करें। इसे 1 से 2 ग्राम दूध के साथ सेवन करना फायदेमंद रहता है। 

गठिया रोग दूर करता है। 

आजकल गठिया रोग भी बहुत ज्यादा परेशान कर रहा है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ जोड़ों में दर्द होने लगता है अगर आपके घर में भी किसी को जोड़ों के दर्द की तकलीफ हो रही है तो उन्हें कोकिलाक्षा का सेवन जरूर करना चाहिए। कोकिलाक्षा और गुडूची एक समान काढ़ा बनाकर 10 से 20 मिलीग्राम काढे को पीना फायदेमंद रहता है। 

कमर दर्द के लिए फायदेमंद

जो लोग दिन भर बैठ कर काम करते हैं उनके कमर में दर्द होना आम बात है। अगर आप भी कमर दर्द से परेशान हैं तो आपको कोकिलाक्षा के पत्तों को पीसकर अपनी कमर में लेप लगाना चाहिए। यह काफी ज्यादा फायदा देता है। इसके अलावा कोकिलक्षा के बीजों का सेवन भी करना फायदेमंद रहता है। 

खून को साफ करता है 

अगर आपको खून संबंधी कोई समस्या हो रही है, खून कम बनता है या फिर खून साफ नहीं है तो इस समस्या से जूझने के लिए कोकिलक्षा चूर्ण काफी ज्यादा फायदा कर सकता है। यह आपके खून को साफ करता है और नया खून बनाने में फायदा देता है। 

पीलिया में फायदेमंद 

अगर आपको पीलिया हो जाता है तो उसके लक्षणों को कम करने के लिए आप साथ कोकिला क्षा का सेवन कर सकते हैं। इसके पत्तों को काढ़ा बनाकर 15 मिलीग्राम पिलाने से पीलिया दूर होने में फायदा मिलता है। 

मूत्र विकार दूर करता है। 

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कोकिलक्षा का सेवन मूत्र विकारों के लिए भी किया जाता है। अगर आपको मूत्र खुलकर नहीं आता। मूत्र लग लग कर आता है तो ऐसी समस्याओं से जूझने के लिए आपको कोकिलक्षा के पत्तों का काढ़ा पीना चाहिए। 

सूजन को दूर करता है। 

अगर आपके शरीर में कहीं सूजन रहती है या फिर ठंड के दिनों में कुछ लोगों के हाथ या पैरों में सूजन हो जाती है तो इस समस्या से जूझने के लिए आपको कोकिलक्षा के चूर्ण या फिर इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर पीना चाहिए। 

अगर ऐसा नहीं कर सकते तो इसकी जड़ को जलाकर बनाई गई राख को पानी के साथ सेवन करने से शरीर की सूजन में आराम मिलता है। 

वाजीकरण में फायदेमंद 

आयुर्वेद में वाजीकरण के लिए बहुत सी आयुर्वेदिक चीजें हैं, जिनमें से एक है कोकिलक्षा। अगर आप भी वाजीकरण या फिर यौन संबंधी समस्या से जूझ रहे हैं तो ऐसे में आपको कोकिलक्षा और कौंच बीज 2 से 4 ग्राम चूर्ण बनाकर गाय के दूध के साथ सेवन करना चाहिए। यह आपकी यौन शक्ति बढ़ाता है।

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